google-site-verification: google16f6d5176b8cee89.html रायगढ़ के सत्यनारायण बाबा

Ticker

6/recent/ticker-posts

रायगढ़ के सत्यनारायण बाबा

 रायगढ़ के सत्यनारायण बाबा

रायगढ़ रेलवे स्टेशन से लगभग 6 किलोमीटर की ही दूरी पर बाबा सत्यनारायण का धाम है आप अपने साधन साईकल गाड़ी ऑटो रिक्शा बस ट्रैन इत्यादि के माध्यम से यह पहुंच सकते है। 


रायगढ़ के सत्यनारायण बाबा
रायगढ़ के सत्यनारायण बाबा



दुनिया में आश्चर्यजनक कारनामें होते ही रहते हैं, ऐसा ही एक कारनामा छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में हुआ है जिसके बारे सुनकर, उसपर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल है. परन्तु यह बात 100 टका सत्य है

रायगढ़ के सत्य नारायण बाबा (हलधर) जिन्होंने 14 वर्ष की बाल्याअवस्था में अपना घर-द्वारा छोड़ दिया और घोर तपस्या के लिए चले गए आज के टाइम पे उन्हें एक ही जगह पर इस तरह बैठे हुए लगभग 24 वर्ष से अधिक का समय हो गया है। 

इस लेख के माध्यम से हम रायगढ़ वाले सत्यनारायण बाबा के आइए जीवन परिचय के बारे में जानेंगे 


सत्यनारायण बाबा का जीवन परिचय –

नाम सत्यनारायण बाबा

बचपन का नाम हलधर बाबा जी 

जन्म 12 जुलाई 1984 है

जन्म स्थान स्थान डूमरपाली, देवरी (रायगढ़) छतीसगढ़ है 

बाबा सत्यनारायण के पिताजी श्री दयानिधि साहू जी 

बाबा के माताजी श्री मति हंसमति साहू थे

(हलधर) सत्यनारायण बाबा, का जन्म 12 जुलाई सन् 1984 को छत्तीसगढ़ राज्य के रायगढ़ जिले के डूमरपाली ग्राम में एक मध्य्मवर्गीय कृषक परिवार में हुआ, उनका बचपन का नाम (हलधर) था वह उसक बचपन का नाम था


(हलधर) बचपन से ही धार्मिक प्रवृति के थे, एक बार गांव में ही तालाब के पास स्थित एक मंदिर में हलधर 7 दिनों तक बिना कुछ खाये पिए लगातार तपश्या करते रहे, तभी से ही उन्हें शिव भक्ति में विशेष रूप से रूचि दिखाई देने लगी थी, स्कूल में पढ़ते उसका ध्यान कही और खोये रहते था। 

हलधर जब 14 साल के थे तब, अपना बस्ता लेकर स्कूल के लिए निकले थे परन्तु वे स्कूल नहीं गए वे अपने गांव डूमरपाली से वह 19 किलो मीटर की दुरी को पैदल चलकर कोसमनारा (रायगढ़) पहुंचे, जब पहली बार सत्यनारायण बाबा वही कोसमनारा के खार में कुछ पत्थरो को इकठ्ठा कर शिवलिंग बनाया फिर अपना जीभ काट कर शिवलिंग पर समर्पित कर तपस्या के लिए बैठ गए पहले सुरू में लोगो ने उन्हें देख कर अनदेखा कर दिया न किसी डर भैय के वह अकेले चुप -चाप गुम- सुम से थे लेकिन धीरे धीरे सत्यनारायण बाबा को वहा से लोगो ने उठ कर चबूतरे के पास जाने के लिए कहा और उसके बारे जानते ही वहा पर मंदिर का निर्माण कर दिया 

उनकी माँ उन्हें जगह-जगह खोजने ढूंढने लगी, और ढूंढते-ढूंढते कोसमनारा पहुंची, उनकी माँ ने उन्हें घर ले जाने के लिए बहुत प्रयास किया, बहुत कोशिशों के बाद भी हलधर वहा से नहीं उठे, और आज तक गर्मी, बरसात, ठंढी में एक जगह बैठकर लगातार तपस्या करते रहे, धीरे-धीरे दिनो दिन बीतते गए और आज उन्हें तपस्या में बैठे हुए लगभग 24 साल हो गए है। 


वो किसी से बात नहीं करते, अभी कुछ सालो में उन्होंने अपने ध्यान को तोड़कर इशारे से अपने भक्तो से संवाद कर लेते है, और श्रद्धालु सत्यनारायण बाबा जी का दर्शन करने आते है,


शुरुवात में यहाँ कुछ भी नहीं था, जब खबर आग की तरह फैलने लगी तब यहाँ 24 घंटे भक्तो का पहरा लगने लगा, फिर धीरे से लोगो का आवागमन सुरु हुआ और मंदिरों का निर्माण सुरु हुआ, कुटिया बनाया गया फिर पानी की व्यवस्था की गयी, पहले वहा कोई भी मंदिर नही था 


 पत्थर के स्थान पर शिव जी का शिव लिंग स्थापित किया गया, धुनि को भी हवन कुंड में बदला गया, बाबा जी जमींन पर बैठे थे, फिर भक्तो के आग्रह अनुरोध पर चबूतरा में बैठने को राजी हुए, दुर्गा माँ का मंदिर भी बनाया गया है। बाबा सत्यनारायण जी का कहना है की जमीं में बैठो या चबूतरे में सब जगह तो धरती माँ से जुड़ा हुआ है 

यहाँ आने वाले भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था की गयी है।रात - दिन कभी भी आ सकते हो बाबा का धाम 24 घंटे खुला रहता है परन्तु अपने खुद के स्थान पर छत ढकने से मना किया वे सत्यनारायण बाबा जी ने खा है की वे सभी मौसमो में खुले आसमान के नीचे बैठकर तपस्या करना पसंद करते है

परन्तु आज तक किसी ने बाबा जी को खाते-पीते नहाते धोते नही देखा है और एक स्थान से दुसरे स्थान तक आते जाते नही देखा है जो किसी आश्चर्य जनक से कम नहीं है, की कोई व्यक्ति बिना कुछ खाये पीये इतने सालो तक कोई कैसे रह सकता है ठंडी गर्मी और बरसात के सभी मौसम को सहते हुए लगातार तपस्या में बैठे हुए ऐसे दिव्य पुरुष का दर्शन हम सब को जरूर करना चाहिए, उनके जीवन पर अनेक वीडियो आइडियो केसेट्स भी बनी हुई है। अगर किसि आने जाने का साधन नही बन पा रहा है तो वह ऑनलाइन घर बैठे मोबाइल फ़ोन से घर बैठे देख सकता है 

अभी के समय में व्यक्ति एक मिनट पर ही जगह पर नही रह सकता और ये बाबा कई सालो से यहा पे बैठ कर ध्यान लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है ऐसे में महज 14 साल की उम्र से ले कर आज तक अपना जीभ काटकर एक जगह पर गर्मी, बरसात, ठंढी,और भूख, प्यास, नीद ये सब कुछ को भूलकर तपस्या में बैठने वाले बाबा की दर्शन की कामना जरूर होनी चाहिए, इस कलयुग में अनेको ढोंगी बाबा मिल जाते है, इसी कारन बाबा को देखने के लिए उनके श्रद्धालु भक्तजन आस्था और विश्वास को बनाये रखने वाले सत्यनारायण बाबा जी को एक बार सत्यनारायण बाबा जी का दर्शन के लिए रायगढ़ जरुर आये ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ